दुनिया को आशिकी सिखाकर खुद हुई गुमनाम : Ashiqui fame anu agarwal
फिल्म अभिनेत्री अनु अग्रवाल का नाम शायद ही किसी को याद होगा, तो आइए हम आपको याद दिलाते हैं वो फिल्म जिसके गानों ने आज भी जवां धड़कनो को आशिकी का मतलब सिखाना बदस्तूर जारी रखा है. जी हाँ 1990 में आयी सुपर हिट फिल्म आशिकी की लीड हीरोइन रही अनु अग्रवाल को आज पहचान पाना भी मुश्किल है, लेकिन उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा की फिल्मो में काम करने के साथ उनकी खुद की ज़िंदगी भी किसी फिल्म की कहानी जैसी बनकर रह जाएगी.
एक सुपर हिट फिल्म देने के बाद अनु ने कई फिल्मो में काम किया लेकिन उनकी ख़राब किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और एक के बाद एक फिल्म फ्लॉप होती गयी, कर्रियर को और अपने को मजबूत बनाने की कोशिश में लगी अनु अग्रवाल एक ऐसे हादसे का शिकार हो गयी जिसने उनकी पूरी ज़िंदगी बदल दी और उनके लिए जीने के मायने ही बदल गए. आइये जानते है कैसे सुपर हिट फिल्म और सुपर हिट गानों को देने के बाद भी एक हीरोइन कभी बॉलीवुड की बुलंदियों के मुकाम तक नहीं पहुंच पायी. आखिर क्या हुआ उनके साथ ऐसा की आज उन्हें पहचान पाना भी इतना मुश्किल है.
11 जनवरी 1969 को दिल्ली में जन्मीं अनु अग्रवाल उस वक़्त दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोशलसाइंस की पढ़ाई कर रही थीं, जब महेश भट्ट ने उन्हें अपनी आने वाली म्यूजिकल फ़िल्म ‘आशिकी’ में पहला ब्रेक दिया। यह फ़िल्म ज़बरदस्त कामयाब रही और महज 21 वर्ष की उम्र में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाली अनु ने पहली ही फ़िल्म से अपनी मासूमियत, संजीदगी और बहेतरीन अभिनय से लोगों को अपना मुरीद बना लिया.
हालांकि, बाद में उनकी ‘गजब तमाशा’, ‘खलनायिका’, ‘किंग अंकल’, ‘कन्यादान’ और ‘रिटर्न टू ज्वेल थीफ़’ जैसी फ़िल्में कब पर्दे पर आईं और चली गईं, पता ही नहीं चला. इस बीच उन्होंने एक तमिल फ़िल्म ‘थिरुदा-थिरुदा’ में भी काम किया। यहां तक अनु ने एक शॉर्ट फ़िल्म ‘द क्लाऊड डोर’ भी की इस सबके बावजूद भी अनु को कामयाबी नहीं मिली. और फिर जैसेबॉलीवुड ने अनु को इशारा दे दिया था कि वो फ़िल्मों के लिए नहीं बनी है और शायद इसलिए 1996 आते -आते अनु बड़े पर्दे से अलविदा कह दिया और अपना रुख योग और अध्यात्म की तरफ़ कर लिया.
लेकिन, अनु की लाइफ में बड़ा तूफ़ान तो तब आया जब वो 1999 में वो एक भयंकर सड़क दुघटर्ना की शिकार हो गयीं. इस हादसे ने न सिर्फ़ उनकी मेमोरी को प्रभावित किया, बल्कि उन्हें चलने-फिरने में भी असमर्थ (पैरालाइज़्ड) कर दिया. 29 दिनों तक कोमा में रहने के बाद जब अनु को होश आया, तो वह पिछली ज़िंदगी और खुद को भी पूरी तरह से भूल चुकी थीं.
कहा जाता है की लगभग 3 वर्ष चले लंबे उपचार के बाद वे अपनी धुंधली यादों को जानने में सफ़ल हो पाईं. जब वो धीरे-धीरे सामान्य हुईं तो उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया और उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान करके संन्यास की राह चुन ली. साल 2015 में अनु अपनी आत्मकथा ‘अनयूजवल: मेमोइर ऑफ़ ए गर्ल हू केम बैक फ्रॉम डेड’ को लेकर चर्चा में रहीं.
यह आत्मकथा उस लड़की की कहानी है जिसकी ज़िंदगी कई टुकड़ों में बंट गई थी और बाद में उसने खुद ही उन टुकड़ों को एक कहानी की तरह जोड़ा है. आज अनु पूरी तरह से ठीक हैं, लेकिन बॉलीवुड से इस अभिनेत्री ने अपना नाता अब पूरी तरह से तोड़ लिया है. अब वह बिहार के मुंगेर जिले में अकेले रहती हैं और लोगों को योग सिखाती हैं.