उत्तराखंड सरकार हाई कोर्ट की खनन रोक पर करेगी सुप्रीम कोर्ट में पैरवी
देहरादून उत्तराखंड में खनन पर कोर्ट की रोक के बाद राज्य सरकार जहा हलकान हो गयी है वही उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी की है यही नहीं खनन बंद होने से जहा कारोबारी नाराज़ बताये जा रहे है वही खनन के कारोबार में लगे हज़ारो ऐसे परिवार रोजी रोटी के संकेत से जूझ सकते है जिन की आय इसी कारोबार से चलती है उत्तराखंड में हज़ारो परिवार जिन के वाहन खनन कारोबार में चलते है उनमे कोर्ट के आदेश के बाद नाराजगी साफ नज़र आ रही है राज्य सरकार भी इस मामले को लेकर जल्द राहत की उम्मीद लगा कर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की तैयारी कर रही है क्योकि उत्तराखंड सरकार के लिए खनन का कारोबार राज्य की आर्थिक रीढ़ पर भी असर करेगा जिस के परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे यही वजह है की राज्य सरकार ने अभी से इस मामले को लेकर अपनी तैयारी तेज़ कर दी है
प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के खनन पर रोक लगाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में मुख्य सचिव एस रामास्वामी को उचित कार्यवाही के निर्देश दिए। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने भी वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर खनन पर रोक के कारण पड़ने वाले असर पर चर्चा की। मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने विभागीय अधिकारियों को मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाने के लिए दस्तावेज तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उच्च न्यायालय की ओर से खनन पर रोक लगाने के निर्देशों के बाद बुधवार को सरकार व शासन में हड़कंप की स्थिति बनी रही। मुख्यमंत्री रावत ने मुख्य सचिव से इसके दुष्प्रभावों की जानकारी ली। बताया गया कि फरवरी से अगस्त तक के समय में ही प्रदेश के पर्वतीय हिस्सों में निर्माण कार्य होते हैं। चारधाम यात्र शुरू होने को है और यात्र मार्गो को दुरुस्त करने का काम चल रहा है। खनन पर रोक लगने से न केवल कार्य प्रभावित होंगे, बल्कि निर्माण सामग्री महंगी होने के कारण आर्थिक हानि भी उठानी पड़ेगी। इसके अलावा आमजन को भी भवन निर्माण में खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार को भी प्रतिमाह मिलने वाले तकरीबन 40 करोड़ रुपये तक के राजस्व का नुकसान होगा।
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